सखि,
आज तो गजब हो गया । तुम तो जानती ही हो कि आजकल मेरी पोस्टिंग अजमेर चल रही है । इसलिए मैं हर सोमवार को जयपुर से सुबह आठ बजे निकल पड़ता हूं और हर शुक्रवार को शाम तक जयपुर वापस आ जाता हूं । आज भी मुझे सुबह जाना था । नहा धोकर, पूजा अर्चना कर और थोड़ा नाश्ता करके अजमेर जाने को तैयार हुआ ।
सामने ही मोबाइल पड़ा हुआ था , उसे उठाया और जेब में डालकर चल दिए । हमारी कार करीब दस पंद्रह किलोमीटर ही चली होगी कि जेब में रखा मोबाइल घनघना उठा । हमने कौतुहल से मोबाइल उठाया और देखा तो कुछ समझ में नहीं आया । स्क्रीन पर HS Goyal लिखा नजर आ रहा था । हम चकराये, थोड़ा घबराये और माजरा कुछ समझ नहीं पाये। ये एच एस गोयल , एच एस गोयल को क्यों फोन कर रहा है ?
हमने आश्चर्य से फोन रिसीव किया तो श्रीमती जी की मिसरी सी मीठी आवाज सुनाई दी "आप अपना मोबाइल तो यहीं पर छोड़ गए और मेरा ले गए " ।
अब जाकर माजरा समझ में आया । होता है, ऐसा भी होता है । अब पक्का यकीन हो गया कि सरकार साठ साल की उम्र में क्यों रिटायर कर देती है ? पर अभी तो तीन महीने बाकी हैं रिटायर्मेंट में । अभी से ये हाल है तो बाद में क्या होगा ? सच में चिन्ता होने लगी ।
पर जिस बात की चिन्ता होनी चाहिए थी उसका क्या ? अरे भाई, मोबाइल श्रीमती जी के हाथ लग गया था और उन्हें पासवर्ड भी पता था । तो क्या आज हमारी पोल खुलने वाली थी । दिल की धड़कनें बढ गई थीं । सांस ऊपर की ऊपर और नीचे की नीचे रह गई थी । सोचा कि गाड़ी वापस घुमा लें । पता नहीं क्या होगा आज ?
लेकिन अगले ही पल मन ने कहा "क्या होगा ? दो चार फोन ऑफिस के आयेंगे । उन्हें अटेंड करते करते देवी जी बोर हो जाएंगी । कुछ फोन हमारे यार दोस्तों के आएंगे । देवी जी की आवाज सुनकर वे भी सोच में पड़ जायेंगे कि मेरा "जेण्डर" बदल गया है क्या" ? 😄😄😄
पर मुझे कितना नुकसान होगा , यह अंदाजा लगाना मुश्किल है । मैं रास्ते में "बहू पेट से है" धारावाहिक की अगली कड़ी लिखने वाला था, वो रह जाएगी । एक हास्य व्यंग्य की रचना लिखनी थी , वो भी रह जाएगी । और , आज की रचना "पथ का पत्थर" पर पाठकों की समीक्षाएं भी नहीं पढ पाऊंगा । इसके अलावा और क्या होगा ?
एक दिन मोबाइल से दूर रहना बहुत भारी पड़ता है ना सखि, यह आज महसूस हुआ । मोबाइल किस कदर हमारी जिंदगी का अभिन्न हिस्सा बन गया है , यह तभी पता चलता है जब हम उससे दूर रहते हैं । मैंने तो महसूस किया है कि मोबाइल, लेखन और गायन तीनों ही मेरी जिंदगी के अटूट हिस्से हैं । इनके बिना अब गुजारा नहीं है ।
वो तो आज मुझे शाम को वापस जयपुर आना था इसलिए कोई बड़ी बात नहीं थी । वर्ना मोबाइल लेने वापस आना ही पड़ता । हर हाल में । शाम को वापस आकर सबसे पहले मोबाइल ही हाथ में लिया , जल भी उसके बाद ही ग्रहण किया । 😊😊
हरिशंकर गोयल "हरि"
6.6.22
Radhika
09-Mar-2023 12:48 PM
Nice
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Gunjan Kamal
06-Mar-2023 08:55 AM
Nice
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Joseph Davis
07-Jun-2022 11:15 PM
Nyc
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